Wednesday, February 6, 2019

अगर ऐसा हुआ तो तीन महीने के भीतर भारत लाया जा सकता है माल्या

ब्रिटेन के गृह मंत्रालय ने भारतीय बैंकों का हजारों करोड़ रुपये लेकर फरार विजय माल्या के प्रत्यर्पण आदेश पर मुहर लगा दी है. अब माल्या के प्रत्यर्पण का मामला पूरी तरह से कोर्ट पर निर्भर है. बड़ा सवाल यह है कि क्या माल्या लोकसभा चुनाव तक यानी मई 2019 से पहले भारत लाया जा सकता है, इसका जवाब हां में है, लेकिन इसके लिए कुछ किंतु-परंतु हैं. आइए जानते हैं कि माल्या का जल्द प्रत्यर्पण किस सूरत में संभव है.

गौरतलब है कि विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश गत 10 दिसंबर, 2018 को ब्रिटेन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के चीफ मजिस्ट्रेट ने दिया था, जिसे वहां के गृह मंत्री साजिद जावेद ने 3 फरवरी को मंजूरी दे दी है. अब विजय माल्या के पास ऊपरी अदालत में अपील के लिए 14 दिन का समय है. माल्या ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि भी की है कि वह इसके खिलाफ अपील करने जा रहा है. माल्या को वापस लाने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जांच एजेंसियों ने लंबी लड़ाई लड़ी है.

विजय माल्या ने होम डिपार्टमेंट के निर्णय पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट में लिखा है, '10 दिसंबर, 2018 के वेस्टमिंस्टर कोर्ट के निर्णय के बाद ही मैने अपील की मंशा जाहिर की थी. होम सेक्रेटरी के निर्णय से पहले मैं अपील की प्रक्रिया की शुरुआत नहीं कर पाया. अब मैं अपील की प्रक्रिया शुरू करूंगा.'

माल्या की अपील पर सबसे पहले एक जज वाले हाईकोर्ट की बेंच में सुनवाई होगी. यह जज भी यदि प्रत्यर्पण के आदेश पर मुहर लगाते हैं, लेकिन आगे अपील की अनुमति भी दे देते हैं तो उसके बाद माल्या की अपील पर हाईकोर्ट के दो जज सुनवाई करेंगे. इसके बाद माल्या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है कि उसके केस की सुनवाई वहां की जाए. अगर सुप्रीम कोर्ट यह मंजूर कर लेता है तो पूरे मामले की सुनवाई पूरी होने में करीब 18 महीने लग जाएंगे.

मई से पहले भारत लाना संभव

लेकिन यदि अपील के पहले चरण में ही हाईकोर्ट ने प्रत्यर्पण पर मुहर लगा दी और माल्या को आगे अपील की इजाजत नहीं दी, तो माल्या को जितनी जल्दी हो सके प्रत्यर्पित कर भारत लाया जा सकेगा. तब इस बात की प्रबल संभावना होगी कि माल्या को मई, 2019 से पहले ही भारत लाया जाए.

कारोबारी विजय माल्या पिछले कई साल से भारत सरकार और कर्ज देने वाले कई बैंकों के लिए सिरदर्द बना हुआ है. 9000 करोड़ का कर्ज लेकर फरार माल्या लंदन में गिरफ्तार भी हुआ था, लेकिन उसे तत्काल जमानत मिल गई.

साल 2017 में 8 फरवरी को भारत सरकार ने ब्रिटेन को माल्या के प्रत्यर्पण की अर्जी दी थी. उसी साल जनवरी में सीबीआई की विशेष अदालत ने आईडीबीआई लोन डिफाल्ट केस में माल्या के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. साल 2012 में पहली बार बैंकों के कंसोर्टियम ने यह खुलासा किया कि विजय माल्या ने उनसे करीब 7,000 करोड़ रुपये का लोन लिया है और चुका नहीं पा रहे.

Monday, February 4, 2019

राष्ट्रीय स्तर के कवि ने फेसबुक पर लिखा- सीबीआई चीफ पर मंत्री का बयान व्यक्तिगत कुंठा का परिणाम

सीबीआई के नए चीफ बनाए गए ऋषिकुमार शुक्ला को कमलनाथ सरकार में मंत्री गोविंद सिंह द्वारा अक्षम अधिकारी बताने पर राष्ट्रीय स्तर के कवि और भोपाल में पदस्थ पुलिस इंस्पेक्टर कवि मदन मोहन समर ने आड़े हाथों लिया है। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में मंत्री के बयान को कुंठित प्रतिक्रिया बताया है।

समर ने लिखा है कि ऋषि होना आसान नहीं है। उनकी आलोचना करना एक मंत्री की व्यक्तिगत कुंठा प्रदर्शित करती है। किसी घटना के लिए जब मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री, मुख्य सचिव जिम्मेदार नहीं होता तो डीजीपी भी नहीं होता। गोविंद सिंह इससे पहले जब गृहमंत्री थे तब भी प्रदेश में जघन्य अपराध हुए थे।

समर ने लिखा, मुलताई में 22 किसानों की मौत का जिम्मेदार कौन?
मदन मोहन समर ने लिखा, "1998 में मुलताई में 22 किसानों की मृत्यु का जिम्मेदार कौन था। मृतक किसानों में दलित भी थे और पिछड़े भी थे। लिहाजा जिम्मेदार पदों पर रहने वाले व्यक्ति को कुंठित नहीं होना चाहिए। प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री और उससे भी कहीं अधिक अनुभवी व सम्माननीय राजनीतिज्ञ डॉक्टर गोविंद सिंह जो स्वयं प्रदेश के गृह मंत्री रह चुके हैं, द्वारा प्रदेश के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के लिए अपशब्दों का उपयोग करना राजनीतिक अपसंस्कृति का उदाहरण है।" 

गोविंद सिंह ने ये कहा था
ऋषि कुमार शुक्ला के सीबीआई चीफ बनने पर गोविंद सिंह ने कहा था कि शुक्ला अक्षम अधिकारी हैं और उनके डीजीपी रहते कई दलितों की हत्या हुई। वह सीबीआई चीफ बनने लायक अफसर नहीं थे।

प्रदेश जिन कॉलेजों में 1000 से ज्यादा छात्राएं पढ़ती हैं, उनमें छात्रावास बनाने की तैयारी उच्च शिक्षा विभाग द्वारा की जा रही है। इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों से जानकारी मांगी है। कॉलेजों के प्राचार्यों से यह भी पूछा गया है कि उनके यहां हॉस्टल बना दिया जाए तो 70 प्रतिशत सीटें भरने की संभावना है या नहीं? शहर के मुरार गर्ल्स कॉलेज में इस योजना के तहत हॉस्टल बनने की संभावना है।

उच्च शिक्षा विभाग के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने प्राचार्यों को पत्र जारी किया है कि उनके कॉलेज में अगर 1000 या इससे ज्यादा छात्राएं अध्ययनरत हैं और हॉस्टल नहीं हैं ताे वह बताएं कि कॉलेज की कितनी छात्राएं छात्रावास में रहने की इच्छुक हैं। छात्रावास बन जाने के बाद क्या 70 प्रतिशत सीटें भर सकती हैं। कॉलेज के पास हॉस्टल बनाने के लिए कोई जमीन खाली है तो उसकी जानकारी भी भेज दी जाए।

कॉलेज प्राचार्यों से यह अभिमत भी मांगा गया है कि कॉलेज कैंपस में हॉस्टल सुरक्षित रहेगा या नहीं। कॉलेज प्राचार्य इस संंबंध में जानकारी देंगे इसके बाद ही हॉस्टल बनाए जाने का निर्णय किया जाएगा। कॉलेज प्राचार्यों से 5 फरवरी तक यह जानकारी मांगी गई है।

肺炎疫情:非洲裔人士在中国广州“被歧视” 引发外交风波

近日,数百名在中国广州居住的非洲裔居民,在没有被确诊新冠肺炎下, 伴随武汉解封, 色情性&肛交集合 中国的新冠肺炎疫 色情性&肛交集合 情似乎正在告 色情性&肛交集合 一段落,人们的 色情性&肛交集合 生活逐渐恢复正常。 色情性&肛交集合 但一本关于 色情性&肛交集合 关于中国...