भारतीय सेना ने नौगाम सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (बीएटी) की घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया। घटना रविवार की है। कई घुसपैठिए एलओसी से सटे घने जंगल का फायदा उठाकर भारतीय सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे। इस दौरान पाकिस्तानी पोस्ट से इन्हें हैवी कवर फायरिंग दी गई। भारतीय सेना ने इसका जवाब दिया और दो को मार गिराया। सेना ने कहा कि ये घुसपैठिए नियंत्रण रेखा पार कर भारत में बड़े हमले को अंजाम देने की फिराक में थे।
बरामद सामान पर पाक की मार्किंग
भारतीय सेना के अफसरों ने न्यूज एजेंसी को बताया कि मारे गए घुसपैठिए पाकिस्तानी आर्मी की यूनिफॉर्म पहने थे। जो सामान बरामद हुआ है, उन पर पाकिस्तान की मार्किंग है। इसके अलावा कुछ घुसपैठिए बीएसएफ और इंडियन एयरफोर्स की वर्दी पहने देखे गए।
सेना के मुताबिक- घुसपैठियों की तैयारी को देखकर लगता है कि वे बड़े हमले को अंजाम देने की फिराक में थे। घुसपैठियों के शव को वापस देने के लिए पाक सेना से संपर्क साधा जाएगा। मारे गए दोनों लोग पाकिस्तानी सैनिकों की तरह लग रहे थे।
सेना ने बताया कि हालात का जायजा लेने के लिए हमारे जवानों ने घने जंगलों में लंबा सर्च ऑपरेशन भी चलाया। इन्होंने इस बात की पुष्टि की है कि पाकिस्तानी सैनिकों की तरह दिखने वाले दो घुसपैठिए की बॉडी मिली। इनके पास से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद किए गए।
क्या है बीएटी?
पाकिस्तान की बीएटी के बारे में सबसे पहले अगस्त 2013 में पता लगा था। तब इसने एलओसी पर पेट्रोलिंग कर रही भारतीय सेना की टुकड़ी को निशाना बनाया था।
बीएटी हकीकत में पाकिस्तान की स्पेशल फोर्स से लिए गए सैनिकों का ग्रुप है। इसमें सैनिकों जैसी ट्रेनिंग पाए आतंकी भी हैं। इन्हें एलओसी में 1 से 3 किलोमीटर तक अंदर घुसकर हमला करने के लिए तैयार किया गया है।
बीएटी को स्पेशल सर्विस ग्रुप यानी एसएसजी ने तैयार किया है। यह पूरी प्लानिंग के साथ अटैक करती है। ये टीम पहले खुफिया तौर पर ऑपरेशनों को अंजाम देती थी, लेकिन बाद में मीडिया की वजह से खबरों में रहने लगी।
बुथानिया ने कहा, "वह 25 अगस्त 2017 की रात थी। उसमें मेरे अंकल की भी मौत हुई। वे मुझे सबसे ज्यादा पसंद थे।" उस हमले में बुथानिया के परिजन के अलावा आठ अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। इसमें दो बच्चे भी थे। सऊदी अरब ने इसे "तकनीकी गलती" बताते हुए हवाई हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी निंदा की गई।
हुती विद्रोहियों का कहना है कि बुथानिया की तस्वीर वायरल होने के बाद उसे परिजन के साथ किडनैप कर लिया गया था। रियाद जाने से पहले इन सबको सरकार के सामने ले जाया गया। सऊदी मीडिया के मुताबिक, उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार के अनुरोध पर सऊदी अरब की राजधानी ले जाया गया।
हुती विद्रोही देंगे घर और वेतन
हुती के अल-मसीरा मीडिया आउटलेट ने बुथानिया के स्वागत में एक कहानी छापा। इसका शीर्षक "सऊदी अरब का चंगुल" दिया। एक शीर्षक में लिखा था, "मानवता की आंख दुश्मन को उजागर करती है।" विद्रोहियों के मुखिया महदी अल-मश्त ने बुथानिया और उसके संबंधियों के लिए घर और वेतन की घोषणा की है।
Monday, December 31, 2018
Monday, December 17, 2018
बुलंदशहर हिंसा में पुलिस से फिर चूक, उपद्रवी की जगह बेगुनाह की तस्वीर लगाई
बुलंदशहर के स्याना में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार की हत्या के बाद अब बाकी आरोपियों की धरपकड़ के लिए बुलंदशहर एसएसपी ने एक लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में 23 आरोपियों की फोटो के साथ उनकी पहचान भी बताई गई है. पुलिस ने आम लोगों से सहयोग की अपील करते हुए कहा है कि हिंसा में शामिल इन लोगों को पकड़वाने में वे पुलिस की मदद करें, लेकिन आरोपियों की पहचान में पुलिस ने गलती कर दी. पुलिस द्वारा जारी की सूची में नाम और पता किसी और का है, जबकि तस्वीर किसी दूसरे की है.
पुलिस द्वारा जारी लिस्ट में दो नबंर की फोटो किसी विशाल त्यागी की है. हालांकि विशाल का कहना है कि उसकी तस्वीर गलत तरीके से लगाई है. इस मामले में पीड़ित विशाल एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार से मुलाकात करने के लिए पहुंचा और कहा कि इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. विशाल ने कहा कि जिस फोटो में उसके पिता का नाम और एड्रेस दिखाया गया है वह भी उसका नहीं है.
विशाल त्यागी ने आरोप लगाया कि उसका फोटो फेसबुक से उठाकर आरोपियों की लिस्ट में लगा दिया गया है. जबकि उसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है. विशाल का कहना है कि वह एक ब्लड बैंक में मार्केटिंग अधिकारी के पद पर तैनात है, और घटना वाले दिन भी वह अपने ऑफिस में ही मौजूद था.
बुलंदशहर पुलिस ने भी इस मामले में गलती मानी और प्रेस रिलीज जारी किया है. पुलिस का कहना है कि बलुंदशहर हिंसा में अभियुक्तों की जो तस्वीरें जारी की गई थीं, उसमें गलती हो गई है. पुलिस के मुताबिक आरोपी का नाम और पता तो सही है लेकिन तस्वीर किसी और की लग गई थी. पुलिस ने कहा है कि घटना से इस व्यक्ति का कोई संबंध नहीं है.
मुंह बंद रखने की धमकी
आरोप है कि सुलेखा ने नाबालिग को नवादा के विधायक राजबल्लभ के हवाले कर दिया. विधायक ने उसके साथ रेप किया. लड़की को सात फरवरी को बिहारशरीफ में उसके घर छोड़ दिया गया और उसे मुंह बंद रखने की धमकी दी गई. थाने में मामला दर्ज होने के बाद से विधायक राजबल्लभ यादव फरार हो गए थे. एक महीने के बाद सरेंडर किया था.
सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था
इस मामले में 30 सितंबर को पटना उच्च न्यायालय ने राजबल्लभ को जमानत दी थी. इसके बाद विधायक की जमानत रद्द करने के लिए बिहार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. मामला दर्ज होने के बाद राजद ने नवादा क्षेत्र से विधायक राजबल्लभ को पार्टी से निलंबित कर दिया था. फिलहाल इस मामले में वे जेल में बंद थे.
पुलिस द्वारा जारी लिस्ट में दो नबंर की फोटो किसी विशाल त्यागी की है. हालांकि विशाल का कहना है कि उसकी तस्वीर गलत तरीके से लगाई है. इस मामले में पीड़ित विशाल एडीजी मेरठ जोन प्रशांत कुमार से मुलाकात करने के लिए पहुंचा और कहा कि इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. विशाल ने कहा कि जिस फोटो में उसके पिता का नाम और एड्रेस दिखाया गया है वह भी उसका नहीं है.
विशाल त्यागी ने आरोप लगाया कि उसका फोटो फेसबुक से उठाकर आरोपियों की लिस्ट में लगा दिया गया है. जबकि उसका इस घटना से कोई लेना-देना नहीं है. विशाल का कहना है कि वह एक ब्लड बैंक में मार्केटिंग अधिकारी के पद पर तैनात है, और घटना वाले दिन भी वह अपने ऑफिस में ही मौजूद था.
बुलंदशहर पुलिस ने भी इस मामले में गलती मानी और प्रेस रिलीज जारी किया है. पुलिस का कहना है कि बलुंदशहर हिंसा में अभियुक्तों की जो तस्वीरें जारी की गई थीं, उसमें गलती हो गई है. पुलिस के मुताबिक आरोपी का नाम और पता तो सही है लेकिन तस्वीर किसी और की लग गई थी. पुलिस ने कहा है कि घटना से इस व्यक्ति का कोई संबंध नहीं है.
मुंह बंद रखने की धमकी
आरोप है कि सुलेखा ने नाबालिग को नवादा के विधायक राजबल्लभ के हवाले कर दिया. विधायक ने उसके साथ रेप किया. लड़की को सात फरवरी को बिहारशरीफ में उसके घर छोड़ दिया गया और उसे मुंह बंद रखने की धमकी दी गई. थाने में मामला दर्ज होने के बाद से विधायक राजबल्लभ यादव फरार हो गए थे. एक महीने के बाद सरेंडर किया था.
सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था
इस मामले में 30 सितंबर को पटना उच्च न्यायालय ने राजबल्लभ को जमानत दी थी. इसके बाद विधायक की जमानत रद्द करने के लिए बिहार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. मामला दर्ज होने के बाद राजद ने नवादा क्षेत्र से विधायक राजबल्लभ को पार्टी से निलंबित कर दिया था. फिलहाल इस मामले में वे जेल में बंद थे.
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